वैकुंठ में बैठे हैं प्रभु जी कृपा ये अपनी बरसा रहे हैं
तरज – रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने
वैकुंठ में बैठे हैं प्रभु जी
कृपा ये अपनी बरसा रहे हैं
जो भी इनके दर पे हैं आए
बिगड़ी हुई को प्रभु पल में बनाए
सभी को प्रभु जी निभा रहे हैं
कृपा ये अपनी बरसा रहे हैं
गजेंद्र के जैसे बोलो नारायण
आएंगे प्रभु जी हरि नारायण
भक्तों को प्रभु जी बचा रहे हैं
कृपा ये अपनी बरसा रहे हैं
लकी की प्रभु जी ठाकुर है न्यारे
भक्तों को प्रभु जी लगते हैं प्यारे
वही तो मुझसे लिखवा रहे हैं
कृपा ये अपनी बरसा रहे हैं