तेरी कृपा का तलबगार हूँ मैं
पापी नालायक हूँ गुनहगार हूँ मैं,
तेरी कृपा का तलबगार हूँ मैं ।। टेर ।।
तर्ज – तेरे प्यार का आसरा ।
लायक को लायक प्रभु क्या है बनाना, काम आपका है गिरते को उठाना,
तुम्हें पतित पावन कहता सारा जमाना, करमों से अपने शर्मसार हूँ मैं ।। तेरी…
कृपा को तुम्हारी भुलाना है मुश्किल, कर्ज आपका तो चुकाना है मुश्किल,
बिन तेरे जीवन बिताना है मुश्किल, जन्मों जन्म से कर्जदार हूँ मैं ।। तेरी…
शरण माँगता हूँ मैं फैलाके बाँहे, कभी तो पड़ेगी प्रभु की निगाहें,
आपकी कृपा होगी तो महकेंगी राहें, छोटा सा दाता कलमकार हूँ मैं ।। तेरी…
लीला तुम्हारी श्याम बस तूं ही जाने, ‘रोमी’ तुम्हें दाता बस अपना माने,
तेरे नाम से दुनिया मुझे पहचाने, सदा ही तुम्हारा वफादार हूँ मैं ।। तेरी…