राम को देख कर के जनक नंदिनी

  • Ram Ko Dekh Ke Janak Nandini

राम को देख कर के जनक नंदिनी-०२
बाग में वो खड़ी की खड़ी रह गयी,
राम देखे सिया को सिया राम को-०२
चारो अँखिआ लड़ी की लड़ी रह गयी,
राम देखे सिया को सिया राम को,
राम को देख कर के जनक नंदिनी।

यज्ञ रक्षा में जा कर के मुनिवर के संग,
ले धनुष दानवो को लगे काटने,
यज्ञ रक्षा में जा कर के मुनिवर के संग,
ले धनुष दानवो को लगे काटने,
एक ही बाण में, एक ही बाण में ताड़का राक्षसी,
एक ही बाण में ताड़का राक्षसी,
गिर जमी पर पड़ी की पड़ी रह गयी,
राम को देख कर के जनक नंदिनी-०२

राम को मन के मंदिर में स्थान दे,
कर लगी सोचने मन में माता ये जानकी,
राम को मन के मंदिर में स्थान दे,
कर लगी सोचने मन में ये जानकी,
तोड़ पाएंगे, तोड़ पाएंगे कैसे ये धनुहा कुंवर,
तोड़ पाएंगे कैसे ये धनुष कुंवर,
मन में चिंता बड़ी की बड़ी रह गयी
राम को देख कर के जनक नंदिनी-०२

और इस भजन का भी अवलोकन  करें: जय जय नारायण नारायण हरि हरि

विश्व के सारे राजा जनकपुर में जब,
शिव धनुष तोड़ पाने में असफल हुए,
विश्व के सारे राजा जनकपुर में जब,
शिव धनुष तोड़ पाने में असफल हुए,
तब श्री राम ने, तब श्री राम ने तोडा कोदंड को,
तब श्री राम ने तोडा कोदंड को,
सब की आँखे बड़ी की बड़ी रह गयी,
राम को देख कर के जनक नंदिनी-०२

तीन दिन तक तपस्या की रघुवीर ने,
सिंधु जाने का रास्ता न उनको दिया,
तीन दिन तक तपस्या की रघुवीर ने,
सिंधु जाने का रास्ता न उनको दिया,
ले धनुष राम ने, ले धनुष राम जी ने की जब गर्जना,
ले धनुष राम जी ने की जब गर्जना,
उसकी लहरे रुकी की रह गयी,
राम देखे सिया को सिया राम को-०२
चारो अँखिआ लड़ी की लड़ी रह गयी,
राम देखे सिया को सिया राम को,
राम को देख कर के जनक नंदिनी।


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