पान को प्रसाद बाबा करो स्वीकार जी

  • paan ko prasad baba karo sweekar ji

तर्ज : चुप चुप खड़े हो जरूर

पान को प्रसाद मैंया करो स्वीकार जी
भोग लगाओ थारी करां मनुहार जी

1.. कलकत्ता बनारस को, फ्लेवर मंगाया हां
चांदी वाळो चमकिलो, बर्क लगाया हां
मिठो मिठो पान ई मैं, भग्तां को प्यार जी.. भोग

2.. काची पाकी सुपारी तू, चाहे जो घलाय ले
भगतां की इच्छा है, एक बार तो तू खाय ले
होंठ होसी लाल जियां, करयो सिणगार जी.. भोग

3.. रह ज्यावैगो धोको गर, आज नही खावै
रोज रोज पान को, प्रसाद कोनी आवै
मौका पर चौका लगाले, अब क्यां की ऊंवार जी.. भोग

4.. पान के प्रसाद को तो, न्यारो ही रुबाब है
खायां पाछै तू भी कहसी, सवाब ला जवाब है
अम्बरीष कहवै पान खाणे, आज्यो हर बार जी.. भोग

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