मैं जान्यो नाहीं हरि से मिलण कैसे होया

  • Main Janeyo Nahin Hari Se Milan Kaise Hoya

मैं जान्यो नाहीं हरि से मिलण कैसे होया
हरी से मिल्न कैसे होया प्रभु से मिलन कैसे होया
मैं जान्यो नाहीं हरि से मिलण कैसे होया।।

आये मेरे सजना फिर गये अंगना,
मैया फागन रेह गई सोई
मैं जान्यो नाहीं हरि से मिलण कैसे होया।।

वारु गी चीर करु गल कंठा
मैं रहूगा वैरागन होए
मैं जान्यो नाहीं हरि से मिलण कैसे होया

निश्वषर मोहे विरहे सतावे
पल न परत पल मोये
मैं जान्यो नाहीं हरि से मिलण कैसे होया।।

मीरा के प्रभु हरी अविनाशी
तुम मिलिया सुख होए
मैं जान्यो नाहीं हरि से मिलण कैसे होया।।

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