कृष्णा विरह

  • Krishna Virah

नाम तुम्हारा रटते रटते,
राधा के अब बीते दिन,
अँखियाँ बिछाए राह में तेरी,
कटते नहीं अब दिन तेरे बिन,
नाम तुम्हारा रटते रटते,
राधा के अब बीते दिन,
अँखियाँ बिछाए राह में तेरी,
कटते नहीं अब दिन तेरे बिन,
क्यूँ तुम मुझको छोड़ गए,
सारे रिश्ते तोड़ गये,
हाँ क्यूँ तुम मुझको छोड़ गए,
सारे रिश्ते तोड़ गये,
हो कान्हा ऐसे सताओ ना,
बृज को लौट के आओ ना,
हो कान्हा ऐसे सताओ ना,
बृज को लौट के आओ ना।

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ढूंढ रही है अँखियाँ तुमको,
कहीं तो दिखेगा कान्हा इनको,
ढूंढ रही है अँखियाँ तुमको,
कहीं तो दिखेगा कान्हा इनको,
ऐसी क्या मजबूरी है,
प्रेम से भी क्या जरुरी है,
हो कान्हा यूँ ठुकराओ ना,
बृज को लौट के आओ ना,
हो कान्हा यू ठुकराओ ना,
बृज को लौट के आओ ना।

कैसे जियेगी तुम बिन राधा,
इक इक पल लगे सदियों से ज्यादा,
कैसे जियेगी तुम बिन राधा,
इक इक पल लगे सदियों से ज्यादा,
कैसे उम्र मैं काटूँगी,
तुम बिन गम ये किससे बाँटूगी,
हो कान्हा प्राण बचाओ ना,
बृज को लौट के आओ ना,
हो कान्हा प्राण बचाओ ना,
बृज को लौट के आओ ना।

कहते थे तुम तो मेरी प्रिये हो,
फिर कैसा प्रेम का फल ये दिये हो,
कहते थे तुम तो मेरी प्रिये हो,
फिर कैसा प्रेम का फल ये दिये हो,
क्या कोई अपनों को त्यागता है,
दिल के रिश्तों से भागता है,
हो कान्हा अब तो रुलाओ ना,
बृज को लौट के आओ ना,
हो कान्हा अब तो रुलाओ ना,
बृज को लौट के आओ ना,
बृज को लौट के आओ ना,
बृज को लौट के आओ ना।


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