काँधे पर दो वीर बिठाकर चले वीर हनुमान

  • Kandhe Par Do Veer Bithakar Chale Veer Hanuman

कहाँ जग मे ऐसे भगवान
काँधे पर दो वीर बिठाकर
चले वीर हनुमान

दुर्गम पर्वत मारग पे
निज सेवक के संग आइए स्वामी
भक्त के काँधे पे आन बिराजिए
भक्त का मान बढ़ाइए स्वामी

ऐसे भक्त कहाँ कहाँ
जग में ऐसे भगवान
ऐसे भक्त कहाँ कहाँ
जग में ऐसे भगवान

कांधे पर दो वीर बिठा कर चले वीर हनुमान
कांधे पर दो वीर बिठा कर चले वीर हनुमान

राम पयो ग़ज हनुमत हंसा
अति प्रसन सुनी नाथ प्रशन्न सा
निश दिन रेहत राम के द्वारे
राम महा दिन कपि रखवाले

रामचंद्र हनुमान चकोरा
चितवत रेहत राम की ओरा

भक्त शिरोमणि ने भक्त
वत्सलं को लिया पहचान
भक्त शिरोमणि ने भक्त
वत्सलं को लिया पहचान

कांधे पर दो वीर बिठा कर चले वीर हनुमान
कांधे पर दो वीर बिठा कर चले वीर हनुमान

राम लखन अरु हनुमंत वीरा
मानहु पारथी संमुत हीरा
तीनो होत सुसोभित ऐसे
तीन लोक एक संग हो जैसे
पुलकित दास नैन जलछायो
अक्श नीर सुख हनुमंत पायो

आज नहीं जग में कोई
बजरंगी सा धनवान
आज नहीं जग में कोई
बजरंगी सा धनवान

कांधे पर दो वीर बिठा कर चले वीर हनुमान
कांधे पर दो वीर बिठा कर चले वीर हनुमान
विद्यावान गुणी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर

आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हांक तें कांपै
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते

प्रभुवर से मांगो सदा
पद सेवा को वरदान
प्रभुवर से मांगो सदा
पद सेवा को वरदान

कांधे पर दो वीर बिठा कर चले वीर हनुमान
कांधे पर दो वीर बिठा कर चले वीर हनुमान
कांधे पर दो वीर बिठा कर चले वीर हनुमान

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