गुरु वचनो को रखना सँभाल के इक इक वचन में गहरा राज़ है
गुरु वचनो को रखना सँभाल के इक इक वचन में गहरा राज़ है,
जिसने जानी है महिमा गुरु की उसका डूबा कभी न जहाज़ है ।
दीप जले और अंधेरा मिटे न ऐसा कभी नहीं हो सकता,
ज्ञान सुने और विवेक न जागे ऐसा कभी नहीं हो सकता ।
जिसकी रोशनी से रोशन जहान है वो फरिश्ता बड़ा ही महान है,
जिसने जानी है महिमा गुरु की उसका डूबा कभी न जहाज़ है ॥
बीज पड़े और अंकुर न फूटे ऐसा कभी नहीं हो सकता,
कर्म करे और फल न भोगे ऐसा कभी नहीं हो सकता ।
कर्म करने को तूँ होशिआर है फल भोगने में बड़ा ही लाचार है,
जिसने जानी है महिमा गुरु की उसका डूबा कभी न जहाज़ है ॥
ठोकर लगे सतगुर न संभाले ऐसा कभी नहीं हो सकता,
जब हम पुकारे और वो न आए ऐसा कभी नहीं हो सकता ।
उसके हाथों में सौंप दे हाथ तूँ वो तो अंग संग तेरे साथ है,
जिसने जानी है महिमा गुरु की उसका डूबा कभी न जहाज़ है ॥
गुरु परिपूर्ण समर्पित तूँ हो जा धोखा कभी नहीं खा सकता,
लक्ष्मण रेखा सतसंग की हो तो रावण कभी नहीं आ सकता ।
अब तो हर पल होता आभास है गुरु सदा ही हमारे साथ है,