धन धन भोलेनाथ बाट दिये तीन लोक एक पलभर में

  • dhan dhan bholanath baant diye ten lok ek palbhar me

धन धन भोलेनाथ बाट दिये तीन लोक एक पलभर में
ऐसे दिन दयाल हो शम्भु भरो खजाना पलभर में

प्रथम वेद ब्रह्मा को दे दिया बने वेद के अधिकारी
विष्णु को दिया चक्र सुदर्शन लक्ष्मी सी सुन्दर नारी
इन्द्र को दिया कामधेनू और ऐरावत सा बलकारी
कुबेर को सारी वसुधा का बना दिया यो अधिकारी
अपने पास पात्र नही रखा,मग्न रहें नीत खप्पर में- ऐसे

अमृत तो देवताओं को दे दिया आप हलाहल पान किया
ब्रह्मग्यान दे दिया उसी को जिसने तेरा ध्यान किया
भागीरथ को गंगा दे दी सब जग ने स्नान किया
बडे बडे पापी को तारा पलभर में कल्याण किया
आप नशे में मग्न रहो,और पीओ भांग खप्पर में-ऐसे दिन

लंका तो रावण को दे दी बीस भुजा दस शिष दिये
मनमोहन को दे दी मोहनी मोर मुकुट और इस दिये
रामचंद्र को धनुष बाण और हनुमत को जगदीश दिये
मुक्त हुये काशी के वासी भक्ति में जगदीश दिये
अपने तन पे वस्र ना राख्या-मगन रहो बाघम्बर में-ऐसे दिन

वीणा तो नारद को दे दी गणधर्वो को तैने राग दिया
ब्राह्मण को दिया कर्मकांड और संन्यासी को त्याग दिया
जिसपे तुम्हरी कृपा हुई तुमने उसको तो अनुराग दिया
जिसने ध्याया उसी ने पाया ऐसा यो वरदान दिया
प्रभु मस्त रहो आप प्रर्वत उपर,और पिओ भांग नित खप्पर में
ऐसे दिन दयाल हो शम्भु भरो खजाना पलभर में

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