महाकाल की कृपा से संसार चल रहा है

  • Mahakal Ki Kripa Se Sansar Chal Raha Hai

दोहा :-

महाकाल की मोहब्बत का,
असर देख रहा हूँ,
जन्नत ये तेरा लगता है शहर,
देख रहा हूँ,
मेरे महाकाल बाबा,
हम सब आए तेरे द्वार पर,
सब पर तेरी रहमत की नज़र,
देख रहा हूँ।

महाकाल की कृपा से,
संसार चल रहा है,
किस्मत में जो नहीं था,
किस्मत में जो नहीं था,
वो भी हमें मिला है,
महांकाल की कृपा से,
संसार चल रहा है।।

उज्जैन के हो राजा,
रखते हो लाज सबकी,
आओ ऐ भक्तो आओ,
आओ ऐ भक्तो आओ,
बाबा का दर खुला है,
महांकाल की कृपा से,
संसार चल रहा है।।

तेरे दर के हम भिखारी,
तुम हो हमारे दाता,
इक आस लेके मन में,
इक आस लेके मन में,
द्वारे तेरे खड़े है,
महांकाल की कृपा से,
संसार चल रहा है।।

महांकाल की कृपा से,
संसार चल रहा है,
किस्मत में जो नहीं था,
किस्मत में जो नहीं था,
वो भी हमें मिला है,
महांकाल की कृपा से,
संसार चल रहा है।।

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