चतुर्थ कूष्माण्डा माँ नवदुर्गा अवतार

  • chaturth kooshmanda ma navdurga avtaar

चतुर्थ कूष्माण्डा माँ नवदुर्गा अवतार

चतुर्थं कूष्माण्डा माँ ,नवदुर्गा अवतार।
चौथे नवरात्र इसी ,रूप का हो दीदार।।
कलश कमंडल चक्र गदा ,जप माला है हाथ।
सिद्धियों निद्धियों की दाती ,अष्ट भुजी यह मात।।
जल ही जल हर तरफ था ,था अन्धकार प्रचण्ड।
अपनी मंद मुस्कान से ,उपजा मां ब्रह्माण्ड।।
दिव्य तेज दिव्य कान्ति ,आभा सूर्य समान।
सूर्यलोक की स्वामिनी ,शक्ति अति महान।।
दुर्गा के इस रूप की ,लीला अपरम्पार।
कूष्माण्डा आराधना ,कर देती भव पार।।
कूष्माण्डा माँ भगवती ,होती जब प्रसन्न।
रोग शोक दुःख दर्द मिटे ,पुलकिट हो तन मन।
शास्त्र वेद पुराण में ,लिखा जो विधि विधान।
नियम से पूजा करो ,शुद्धता का धर ध्यान।।
सच्ची श्रद्धा प्रेम से ,शरण मात हो जाए।
होव पूर्ण कामना ,जो मांगो मिल जाए।।
कूष्माण्डा जगदम्ब का करो ‘मधुप’ गुणगान।
पराभक्ति पराशक्ति का ,पावो अमर वरदान।।

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