भोले घोट घोट के भंगिया तेरी

  • bhole ghot ghot ke bhangiya teri

भोले घोट घोट के भंगिया तेरी,
दोनों नरम कलहई दुखे मेरी,

जंगल जंगल मैं भागी फिरू लायौ ढूंढ ढूंढ के हरी हरी,
दोनों नरम कलहई दुखे मेरी,

मैं तो व्याह करके हये फस गई बुरी,
तेरी भांग बनी है सौतन मेरी,
दोनों नरम कलहई दुखे मेरी,

मैं तो अपने पीहरिये को चली,
भोले तभी समज में आवे तेरी,
दोनों नरम कलहई दुखे मेरी,

कुण्डी सोटे से हो गई दुखी,
भोले भांग की आदत से ये बुरी,
भोले घोट घोट के भंगिया तेरी,

भोले घोट घोट के भंगिया तेरी,
दोनों नरम कलहई दुखे मेरी,

मिलते-जुलते भजन...