ऐसी गुरां ने पिलाई कोई होश न रही

  • Aisi gura ne pilayi koyi hosh naa rhi

ऐसी गुरां ने पिलाई कोई होश ना रही,
कोई होश ना रही सानू होश ना रही…..

सतगुरु दे दे भर भर प्याला,
पी के होवे मन मतवाला,
ऐसी मस्ती चढ़ाई सानु होश ना रही,
ऐसी गुरां ने पिलाई मैनु होश ना रही…..

सतगुरु दे दे भर भर जाम,
गुरुमुख पीदे सुबह शाम,
ऐसी लगन लगाई सानु होश ना रही,
ऐसी गुरां ने पिलाई मैनु होश ना रही…..

सतगुरु चारों ओर अंधेरा,
चानन कीता चार चफेरा,
ऐसी रोशनी दिखाई सानु होश ना रही,
ऐसी गुरां ने पिलाई मैनु होश ना रही…..

तेरी नजर ने मन मेरा रंगिया,
सब कुछ देता जो जो मंगिया,
ऐसी दया बरसाई सानु होश ना रही,
ऐसी गुरां ने पिलाई मैनु होश ना रही…..

सतगुरु मेरे दीनदयाल,
सानू कीता उसने निहाल,
ऐसी राह दिखाई सानु होश ना रही,
ऐसी गुरां ने पिलाई मैनु होश ना रही…..

मिलते-जुलते भजन...