अगर तू घर आ जाये तो घर मंदिर बन जाये

  • Agar Tu Ghar Aa Jaye To Ghar Mandir Ban Jaye

तोसे यो मंदिर ना छूटे,
मोसे यो परिवार,
हम दोनों को वो मिल जाये,
जिसको जो दरकार,
अगर तू घर आ जाये,
तो घर मंदिर बन जाये।।

मंदिर तुम्हारा बाबा,
दर है हमारा,
बदले ना मंदिर घर में,
नियम है तुम्हारा,
पल दो पल दर्शन का बाबा,
है हमको अधिकार,
हम दोनों को वो मिल जाये,
जिसको जो दरकार,
अगर तू घर आ जाये,
तो घर मंदिर बन जाये।।

मंदिर पे तेरे बाबा,
हक़ ना हमारा,
मगर मेरे घर पे बाबा,
हक़ है तुम्हारा,
जहां जहां पे कदम रखोगे,
वहीं लगे दरबार,
हम दोनों को वो मिल जाये,
जिसको जो दरकार,
अगर तू घर आ जाये,
तो घर मंदिर बन जाये।।

फरक क्या पड़ेगा तुमको,
इधर और उधर में,
जो बात मंदिर में है,
वही बात घर में,
वहाँ मिले तुम्हें छतर सिंहासन,
यहाँ मिले परिवार,
हम दोनों को वो मिल जाये,
जिसको जो दरकार,
अगर तू घर आ जाये,
तो घर मंदिर बन जाये।।

घर को जो अपना समझो,
बेटा बना लो,
घर को जो मंदिर समझो,
नौकर बना लो,
‘बनवारी’ बस सेवा चाहिए,
चाहिए तेरा प्यार,
हम दोनों को वो मिल जाये,
जिसको जो दरकार,
अगर तू घर आ जाये,
तो घर मंदिर बन जाये।।

तोसे यो मंदिर ना छूटे,
मोसे यो परिवार,
हम दोनों को वो मिल जाये,
जिसको जो दरकार,
अगर तू घर आ जाये,
तो घर मंदिर बन जाये।।

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