ऐ गौरा माँ के लाल मैं तेरा हो गया
जबसे देखा तुम्हे जाने क्या हो गया
ऐ गौरा माँ के लाल मैं तेरा हो गया।।
तू दाता है तेरा पुजारी हूँ मैं
तेरे दर का एक भिखारी हूँ मैं
तेरी चौखट पे जा दिल मेरा खो गया।।
जब से बाबा मुझे तेरी भक्ति मिली
मेरे मुरझाए मन की है कलाइयाँ खिली
जो ना सोचा कभी वोही हो गया।।
तेरे दरबार की वा अजब शान है
जो भी देखे तुझे वोही कुर्बान है
तेरी भक्ति का मुझपे नशा छा गया।।
शर्मा जब तेरी झाँकी का दर्शन किया
तेरे चरनो मे तन मन ये अर्पण किया
एक दफ़ा तेरी नगरी में जो भी गया।।
जबसे देखा तुम्हे जाने क्या हो गया
ऐ गौरा माँ के लाल मैं तेरा हो गया।।