आरती उतारो मारा शनिदेवनि आरती उतारो रे
आरती उतारो मारा शनिदेवनि
आरती उतारो रे
सेवा ने स्वीकारो मारा
जय जय श्री शनि देवा।।
आरती उतारो मारा
शनिदेवनि आरती उतारो रे
सेवा ने स्वीकारो मारा
जय जय श्री शनि देवा
जय जय श्री शनि देवा।।
सूर्य सुतकारी कीर्ति आपार
शनि मूर्ति कोई पामणा पार
तारी पूजा तारी सेवा
करू सांज ने सवार।।
आरती उतारो मारा
शनिदेवनि आरती उतारो रे
जय जय श्री शनि देवा
जय जय श्री शनि देवा।।
नव ग्रहमा श्रेष्ठ ने सारा
मोटा प्रकाराम सहती तमारा
शनिवार ने अमासे
यही मेलो रे भरे।।
आरती उतारो मारा
शनिदेवनि आरती उतारो रे
जय जय श्री शनि देवा
जय जय श्री शनि देवा।।
शिंगणापुर गामे वास तमारो
शरणे तमारे आवे एने तमे तारो
करो कृपा तमे देवा
रंक राजा बनी जय।।
आरती उतारो मारा
शनिदेवनि आरती उतारो रे
जय जय श्री शनि देवा
जय जय श्री शनि देवा।।
श्री शंकर जीना वरदान करो
गर्व थयो छे रावणने घेरो
महादेव जीना वरदान करो
गर्व थयो छे रावणने घेरो
सदा साती बैठे त्यारे
तेना कुल नो नाश थे ।।
आरती उतारो मारा
शनिदेवनि आरती उतारो रे
जय जय श्री शनि देवा
जय जय श्री शनि देवा।।
चमत्कार गुरु ने एवो बताव्यो
शूली सुधि ले जय आधार अपवयो
गुण गावा बसे तारा
एनो आवे नहीं पार।।
आरती उतारो मारा
शनिदेवनि आरती उतारो रे
जय जय श्री शनि देवा
जय जय श्री शनि देवा।।
राजा विक्रम हटो परोपकारी
गर्व कार्यो तो सजा करि भरी
एनी कीर्ति अपकीर्ति
एमा लागे नहीं वार।।
आरती उतारो मारा
शनिदेवनि आरती उतारो रे
जय जय श्री शनि देवा
जय जय श्री शनि देवा।।