एक गिलहरी बार-बार सागर में पूँछ भिगावे

  • ek gilehri baar baar sagar me puch Bhigawe

राम जी ने पूछा –
एक गिलहरी बार-बार सागर में पूँछ भिगावे…
राम जी ने पूछा –

“गिलहरी क्या कर रही हो ?”

बड़े नुकीले पत्थर प्रभु जी….

तेरे पाँव में न चुभ जावें…

बालू आपके राह को प्रभुजी ..कितना सुगम बनावें !!

बालू आपके राह को प्रभुजी ..कितना सुगम बनावें !!

देख वानरों की सेवा महान
मेरे दिल में जगे अरमान!

देख वानरों की सेवा महान
मेरे दिल में जगे अरमान!

मैं तो पत्थर उठा नहीं पायी
तो बालू ले आयी..

तेरी सेवा करूँ मैं मेरे राम

मेरे दिल में जगे अरमान

मैं तो पत्थर उठा नहीं पायी
तो बालू ले आयी..

अब प्रभु श्री राम गिलहरी से प्रसन हो कर बोलते हैं –

“तेरी यह सेवा ना भूले रघुराई
युगों युगों कथा तेरी जायेगी सुनायी… जायेगी सुनायी!”

“तेरी यह सेवा ना भूले रघुराई
युगों युगों कथा तेरी जायेगी सुनायी!!”

तेरा रघुकुल पे है यह एहसान..

तेरा रघुकुल पे है यह एहसान..

तू तो पत्थर उठा नहीं पायी तो बालू ले आई !!

तू तो पत्थर उठा नहीं पायी तो बालू ले आई !!

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