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मंगल भवन अमंगल हारी

  • Mangal Bhawan Amangal Haari

मंगल भवन अमंगल हारी
द्रबहु सुदसरथ अचर बिहारी
सीता राम चरित अति पावन
मधुर सरस अरु अति मनभावन

पुनि पुनि कितनेहू सुने सुनाये
हिय की प्यास भुझत न भुझाये

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