ये बेटियां ये बेटियां
नाजुक सी है कोमल सी है
घर का उजाला है
कुम कुम है हर घर का तुलसी के माना है
ये बेटियां ये बेटियां
आकश से उतरी ये परियो सी लगती है,
कितना मन बाहती है जब छम छम करती है
ये बेटियां ये बेटियां
कलियों सी चटक ती है फूलो सी मेहक ती है
माँ बाप की आँखों में सजधज कर रेहती है
ये बेटियां ये बेटियां
इन नन्हे चरणों में भगवान भी झुकते है,
इनकी ही किरपा लेकर बोले न करते है
ये बेटियां ये बेटियां

