यहां कोई नहीं अपना दुनिया ही बेगानी है

  • yaha koi nahi apna duniya hee begani hai

यहां कोई नहीं अपना दुनिया ही बेगानी है,
दुनिया जिसे कहते हैं वह झूठी कहानी है,
यहां कोई नहीं अपना……

एक फूल सा बचपन था जो बीत गया सारा,
अब सारी जिंदगानी कांटो पर बितानी है,
यहां कोई नहीं अपना……

धनवान बड़े आए बलवान बड़े आए,
बाकी ना रहा कोई, ना कोई निशानी है,
यहां कोई नहीं अपना……

तूने महल बनाए थे और बाग लगाए थे,
अब छोड़ कर यह नगरी, जंगल में बितानी है,
यहां कोई नहीं अपना……

एक रोज यहां आना एक रोज वहां जाना,
आ करके चले जाना, यह रीत पुरानी है,
यहां कोई नहीं अपना……

रथ घोड़े और हाथी तेरा कोई नहीं साथी,
एक दिन तो तेरी डोली, लोगों ने उठानी है,
यहां कोई नहीं अपना……

मिलते-जुलते भजन...