विधाता अजब लिखी तक़दीर
विधाता अजब लिखी तक़दीर-०४
होना था अभिषेक राम का-०३
वन को गए रघुवीर,
विधाता अजब लिखी तक़दीर-०३
हरिश्चंद्र थे दानी दाता,
खाली ना कोई द्वार से जाता-०२
हरिश्चंद्र थे दानी दाता,
खाली ना कोई द्वार से जाता-०२
किस्मत ने क्या खेल रचाया-०३
बन गए वो तो फ़कीर,
विधाता अजब लिखी तक़दीर-०३
और इस भजन को भी देखें: देखो राम आये
नीर भरन जब श्रवण पहुंचे,
लागा तीर प्राण तब छूटे-०२
नीर भरन जब श्रवण पहुंचे,
लागा तीर प्राण तब छूटे-०२
अंत समय में मात पिता को-०३
पिला सके ना नीर,
विधाता अजब लिखी तक़दीर-०३
द्रौपदी पांच पतियन की नारी,
सबने नीचे गर्दन डारी-०२
द्रौपदी पांच पतियन की नारी,
सबने नीचे गर्दन डारी-०२
भरी सभा में लाज उतारी-०३
कृष्ण बढ़ा रहे चीर,
विधाता अजब लिखी तक़दीर-०३

