विविध भजन वेणु विनोद कुंज वृन्दावन संध्या आरती venu vinod kunj vrindavan sandhya aartiसंध्या आरती करति सहेली,श्यामा श्याम गुण गर्व सहेली ।।निरखि निरखि छवि नैन नवेली,अंग अंग रंगरलि अलबेली ।।सोहत उर चौवत चंबेली,रसरंजन राजति रतिरेली ।।तरु श्रृंगार प्रेम की बेली,श्रीहरि प्रिया हरत मन हेली ।।