तुलसी विवाह भजन एवम दोहे
पांच जनों ने मता उपाया कृष्ण ढूंढने चालो मेरे राम।
गोकुल ढूंढी मथुरा ढूंढी, ढूंढी कुंज गली मेरे रामा,
कहीं ना पायो नन्दजी को लाला तुलसा का बिड़ला पायो मेरे राम।
ऊपर तुलसा घेर घुमरी तले कृष्णवर सोए मेरे राम।
के म्हारी तुलसा तू जान जुगारी, के तू कामन गारी मेरे रामा
ना मेरी बहना जान जुगारी ना में कामन गारी मेरे रामा
मीठा बोला नेके चाला, लागी कृष्ण जी ने प्यारी मेरे राम
जो म्हारी तुलसा न बिड़ला गावें जन्म मरण छूट जावे मेरे राम
बूढ़ी गावें, गंगा जमुना न्हावें, स्वर्ग पालकी आवें मेरे राम
मैं गावा म्हार राम जी लड़ावा, पूरे मन की आशा मेरे राम ।
सा ग्राम।
दोहे।
वृन्दावन सा वन नहीं, नन्दग्राम सा ग्राम।
वंशी वट सा वट नहीं, श्रीकृष्ण नाम सा नाम ||1||
राधे तू बड़ भागिनी, कौन तपस्या कीन।
तीन लोक तारन तरन, सो तेरे आधीन |2||
राधे तू मेरी स्वामिनी, मैं राधे को दास।
जन्म जन्म मोहे दीजियो, श्री वृन्दावन को वास ||3||
सब द्वारन को छोड़कर, आयो तेरे द्वार।
श्री वृषभानू की लाडली, मेरी ओर निहार।।4।।
प्यारी झांकी श्याम की, बसी हृदय के तीचा
जब चाहूं दर्शन करू, झट पट आंखें मीच ॥5॥
स्वामी मोहि न बिसारियो, लाख लोग फिर जाय ।
मुझसे तुमको बहुत हैं, तुमसे मोकूं नाय ||6||
मेरी ओर न देखियो, मैं दोषण की खान।
अपनी ओर बिचारियों, प्यारे कृपा निधान ।7 ||
वृन्दावन के वृक्ष को, मरम न जाने कोय।
डार डार अरू पात पात, राधे राधे होय ॥8॥
जितने तारे गगन में, उतने दुश्मन होय।।
कृपा हो जब राम की, बाल न बांका होय ॥9॥
देवता सब आश्रम गये. शम्भु गये कैलाश।
कहते सुनते जायेंगे, श्री हरि चरणों की आस ।।10।।


