थारे घट में विराजे भगवान

  • thaare ghat me viraje bhagwan

थारे घट में विराजे भगवान बाहर काई जोवती फिरे

नो नहाई नौरता दसवे नहाई काती,
हरी नाम की सुध नही लेवे,
फिरे गलियों में नाती,
पीपल रे डोरा बांधती फिरे,
थारे घट मे विराजे भगवान,
बाहर काई जोवती फिरे,

जीवित मात् री सुध न लेवे मरिया गंगाजी जावे,
वो सराधा में बोले का कागलो बापू के बतलावे,
आकारा पता उड़ती फिरे
थारे घट मे विराजे भगवान,
बाहर काई जोवती फिरे…..

पत्थर की रे बनी मूर्ति वह मुख से नहीं बोले,
शामे बैठो मस्त पुजारी वह दरवाजे नहीं खोले,
चंदन का टीका काटती फिरे
थारे घट मे विराजे भगवान,
बाहर काई जोवती फिरे……

रामानंद मिला गुरु पूरा जीव भरम रा तो ले,
कहत कबीर सुनो भाई संतो पर्वत के राई तो ले,
पर्वत तेरी छाया जोवती फिरे,
थारे घट मे विराजे भगवान
बाहर काई जोवती फिरे…..

मिलते-जुलते भजन...