तेरे नौं दरवाज़े खुले

  • tere nau darwaze khullhe

तेरे, नौ, दरवाज़े खुले,
माँ शेरों वाली, बल्ले बल्ले।
माँ शेरों वाली, बल्ले बल्ले,
माँ शेरों वाली, बल्ले बल्ले।
तेरा, सिक्का, जहां में चले,
माँ शेरों वाली, बल्ले बल्ले।
तेरे, नौ, दरवाज़े खुले…

तेरे द्वार की, शान निराली,
कोई न लौटा, दर से खाली।
तेरे, द्वार से, हंसते चले,
माँ शेरों वाली, बल्ले बल्ले।
तेरे, नौ, दरवाज़े खुले…

ब्रह्मा, सार भी, पा न सका,
नारद, महिमा, गा न सका।
पांच, पीर भी, संग-संग चले,
माँ शेरों वाली, बल्ले बल्ले।
तेरे, नौ, दरवाज़े खुले…

दूर-दूर से, संगत आई,
दर पे आकर, झोलियाँ फैलाई।
तेरे, भक्त, खड़े माँ हल्ले,
माँ शेरों वाली, बल्ले बल्ले।
तेरे, नौ, दरवाज़े खुले…

पांचों पांडव, भवन बनाए,
भवन के भीतर, माँ तुझे सजाए।
तेरा, अर्जुन, चंवर झले,
माँ शेरों वाली, बल्ले बल्ले।
तेरे, नौ, दरवाज़े खुले…

संगतें, तेरे, दर पे आईं,
ढोलक, चिमटा, संग लाईं।
हम तेरी, भेंटें गाते चले,
माँ शेरों वाली, बल्ले बल्ले।
तेरे, नौ, दरवाज़े खुले…

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