तनधारी जग में अवधु कोई नहीं सुखिया रे

  • tandhari jag me avdhu koi nhi sukhiya re

कोई तन दुखी कोई मन दुखी कोई धन बिन फिरे उदास,
थोड़ा थोड़ा सब दुखी भाई सुखी राम का दास

तनधारी जग में अवधु कोई नहीं सुखिया रे,
हेरी, जनम लियोड़ा सब दुखिया है रै लोग
तनधारी जग में अवधु कोई नहीं सुखिया है

ब्रह्मा भी दुखिया अवधु विष्णु भी दुखिया है,
हेरी दुखिया दशो अवतारां है लोक,
तनधारी जग में अवधु कोई नहीं सुखिया है

धरती भी दुखिया अवधु अम्बर भी दुखिया है,
हेरी दुखिया पवना पाणी है लोक,
तनधारी जग में अवधु कोई नहीं सुखिया रे

राजा भी दुखिया अवधू प्रजा भी दुखिया है,
हेरी दुखिया सकल संसारा है लोक,
तनधारी जग में अवधु कोई नहीं सुखिया है

ओ शरणे मच्छेंद्र जाती गोरख बोले रे,
हेरी राम ने भजे वो ही सुखिया है लोक,
तनधारी जग में अवधु कोई नहीं सुखिया है

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