तन मन की सुध विसर गई है
तन मन की सुध विसर गई है,
सन्मुख भोले नाथ खड़े है ।
इक टक सारे देख रहे है,
पार्वती जी साथ खड़े है ।।
शिव मंदिर में आ पहुंचे है
भक्त तुम्हरे भोर हुए I
अध्भुत छवि निराली देख के
सब आत्म अभिभोर हुए ।
छू कर इन पावन चरणों को,
आन्दित हम और हुए I
इक टक सारे देख रहे है,
पार्वती जी साथ खड़े है ।।
देवी देवता और मुनिवर,
खड़े है सब तुझको घेरे I
प्रेम की गंगा उमड़ पड़ी है,
आये है जो द्वार तेरे ।
मन में कैसी लहर उठी है,
लगते सब हर्ष भरे I
इक टक सारे देख रहे है,
पार्वती जी साथ खड़े है ।।
भगभागि वो नर नारी है,
तुम संग जिनकी प्रीत बड़ी I
उनके ताप हए है शीतल,
जिनपे तेरी नजर पड़ी ।
सारी विपदा हर लेते हो,
लगे न तुम को इक घड़ी I
इक टक सारे देख रहे है,
पार्वती जी साथ खड़े है ।।