सुन लाख टके की बात

  • sun lakh take ki baat

सुन लाख टके की बात
सुखों को देने वाला देता
सदा दुख में भी साथ
सुन लाख टके की बात

रची है जिसने सृष्टि सारी
रचे सूरज चाँद सितारे
जीव जंतु सब उसने बनाए
रच दिए सारे नज़ारे
रचे जिसने दिन रात
सावन पतझड़ और बरसात
सुखों को देने वाला देता
सदा दुख में भी साथ
सुन लाख टके की बात

चरण उसके पड़े जहाँ पर
होता पुण्यों का वहीं बसेरा
छूट जाता नाम जपने से जिसके
जन्म मरण का फेरा और
शरण में मिलता जिसके परमार्थ
राजीव छूट जाए जब गात
सुखों को देने वाला देता
सदा दुख में भी साथ
सुन लाख टके की बात

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