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श्याम जब जन्मे ब्रज के कारगार में

  • Shyam Jab Janme Braj Ke Karagaar Mein

श्याम जब जन्मे ब्रज के कारगार में
धूप दीप जल उठे सारे नगर में
श्याम जब जन्मे ब्रज के कारगार में।।

बादल बरसाए है जल की धारा
राचे खेल प्रभु सार
श्याम जब जन्मे ब्रज के कारगार में।।

रोहणी नक्षत्र भाद्र पद अष्टमी
खुले ताले सभी गए झूमे गाये जमी।।

गए प्रभुजी के घर कंस था बेखाबरे
उठा बालक वो सुबह उचलने नंद के घर में।।

श्याम जब जन्मे ब्रज के कारागार में
धूप दीप जल उठे सारे नगर में।।
बादल बरसाए है जल की धारा
राचे खेल प्रभु सार
श्याम जब जन्मे ब्रज के कारगार में।।

रोए देवकी बेहाल मन में चिंता विशाल
होए ना बांका कोई बाल सुखी रहे गोपाल।।

बन यशोदा का पुत्र करना कमाल
नहीं भाये हो कंश का नारी नर में।।

श्याम जब जन्मे ब्रज के कारगार में
धूप दीप जल उठे सारे नगर में।।

बादल बरसाए है जल की धारा
राचे खेल प्रभु सार
श्याम जब जन्मे ब्रज के कारगार में।।

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