शंकर भोला भंडारी, गर पहिरे डोमी कारी

  • shankar bhole bhandari gar pahire domi kari

शंकर भोला भंडारी, गर पहिरे डोमी कारी
तोर लीला हावय भारी
भोला गा भोला गा भोला गा, नदिया वाला गा
देवन मा तै महादेवा॥ त्रिझुल डमरू धारी,,

गौरी नाथ कैलास पति तोर ,महिमा है मन भावन ।
चारि मुड़ा तोर पूजा मनाथे, सावन महीना पावन ।
बुडहा देवा है हर हर,जय अवघड़िया बम शंकर
अंग चुपरे राख मरघट के,हे बाघम्बर धारी,,

सिधवा बर तै सिधवा भोला बइहा बर तै बइहा ।
दानी म तै जब्बर दानी काम देव के जीतइहा ।
मरघट मा धुनि रमाये, गाजा के धुवा उडाये
अलबेला शिव अविनासी तारें तै त्रिपुरारी,,

कहो नही देवन कस तोला मैंहा जहर पीये बार ।
दे दे बस दरसन तै मोला है भोला गंगा धर ।
जयहो भुतवा के राजा मै सुमरव तोला आजा
प्रेम दास पुरन के भोला।। कर लेबे चिन्हारी,

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