सारी उम्र गवा लई तूँ
सारी उम्र गवा लाई तू,जिन्दरिये कुझ न जहाँ विचो खटिया॥
क्यों करे तू मियाँ मियाँ.. मियाँ है दो पल दी शियां
फस के इस दे मोह दे विच क्यों होस भुला लाई तू,
जिन्दरिये कुझ न जहाँ विचो खटिया
ना बचपन न रही जवानी,ना रही ओह अकाल शेतानी,
आइयाँ भुदापा जो जांदा नही हर चाल चला ली तू,
जिन्दरिये कुझ न जहाँ विचो खटिया………….
दुनिया तेनु प्यार वि करदी,प्यार है बेशुमार वि करदी,
बोल बोल के कोड़े बोल दुश्मन बना ले तू,
जिन्दरिये कुझ न जहाँ विचो खटिया………
जिह्ना ली तू पाप कामिया,अंत वेले कोई कम नही आइयाँ,
धन दे बदले एने पाप एहे की अकाल बना ली तू,
जिन्दरिये कुझ न जहाँ विचो खटिया……
