सांवलिया सेठ के श्री चरणों में अर्जी लगाने आया हूं
तर्ज : पर्बत के पीछे चम्बे दा गांव
सांवलिया सेठ के, श्री चरणों में
अर्जी लगाने आया हूं..
झुकती है सारी, दुनिया जहां पर
मैं भी.. सर झुकाने, आया हूं.. हो..
1.. सबको पता है, खाटू सा, दरबार नही दूजा
इसीलिये, कलयुग में घर-घर, होती है पूजा
इस दुनिया में, बाबा सा, दात्तार नही दूजा
मनके भावों को, दिल के घावों को
मर्हम लगवाने आया हूं.. हो..
झुकती..
2.. इनका वचन है, इनका भगत, परेशान नही होगा
इज्जत शोहरत सब होगी, अभिमान नही होगा
इनकी कृपा से, बढ़ कर कोई, वरदान नही होगा
किस्मत की रेखा, कर्मों का लेखा
मैं भी.. बदलवाने आया हूं.. हो..
झुकती…
3.. खाटू की ग्यारस जैसा, त्योंहार नही देखा
भग्तों का, यहां आना कभी, बेकार नही देखा
अम्बरीष कहै, इस दर पे कभी, इनकार नही देखा
किरपा ये तेरी, किस्मत में मेरी
मैं भी.. लिखवाने आया हूँ.. हो..
झुकती..