राम भजा जा ए मन लोभी

  • ram bhaja ja eh man lobhi

दोहा — राम नाम की लूट हे नर लूट सके तो लूट , अंत समय पछतायेगा जब प्राण जायेगा छूट

राम नगरिया राम की भई बसे गंग की तीर , अटल राज महाराज की भई चौकी हनुमत वीर

राम ने भजा जा ए मन लोभी रे मन आलसी ,अरे राम भजा से तीर जासी
राम भजन कर तीर जासी रे राम भजन कर तीर जासी

माटी खोदत माटी रे बोली
सुण रे कुमार मेरा संघ साथी ,
आछी आछी माटी खोद रे कुमार तू ,
एक दिन मारे माहि मिल जासी
राम ने भजा जा ए मन…..

लकड़ी रे काटत लकड़ी रे बोली,
सुन रे काटिका मारा संघ साथी
आछी आछी लकड़ी काट रे काटिका
एक दिन मारे साथे जळ जासी
राम ने भजा जा ए मन….

कलिया तोडत कलिया रे बोली
सुण रे माळीका मेरा संघ साथी
छोटी छोटी कलिया,मती तोड़ रे माळीका.
एक दिन फुलड़ा खिल जासी
राम ने भजा जा ए मन…..

गुरूजी की सेवा हरिजी की भक्ति
बणत बणत थारी बण जासी
राम ने भजा जा ए मन…..

कहत कबीरा असल फकीरा
लख चौरासी बीरा कट जासी
राम ने भजा जा ए मन…..

राम ने भजा जा ए मन लोभी रे मन आलसी ,अरे राम भजा से तीर जासी
राम भजन कर तीर जासी रे राम भजन कर तीर जासी
राम भजन कर तीर जासी
राम भजन कर तीर जासी …

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