प्रथम वंदनी हे गणराजा सद कर्मों के सिद्धि दाता
प्रथम वंदनी हे गणराजा
सद कर्मों के सिद्धि दाता।।
पुराण कर्ता उसके कर्मों को
सबसे पहले तुझे जो ध्याता।।
प्रथम वंदनी हे गणराजा
सद कर्मों के सिद्धि दाता।।
भाल चंद्र बुद्धि नाथ
एक दन्त धूम्र बुद्ध
वत्सकर्ण गजानन
गणपति नमोस्तुते
गोरी सुत लंबोदर
लमोबदार महाबल
प्रथमेश शिशुकर
गणपति नमोस्तुते।।
शुभम शुभम सुरेश्वरम
वक्रतुंड ईश्वरम
अनंत चिद रूपम
गणपति नमोस्तुते।।
बुद्धि प्रिये भुवन पति
अविक्रम भू पति
देव व्रत चतुर्भुज
गणपति नमोस्तुते।।
सच्चे मन से जिस्ने
तुझे देवा तुझे याद किया है
तूने भक्तो को शुभ वर देके
अमंगल हरके मंगल किया है।।
गुण तेरा शुभ फल दायक
तू साधक का भाग्य विधाता
पुराण कर्ता उसके कर्मों को
सबसे पहले तुझे जो ध्यान ।।
प्रथम वंदनी हे गणराजा
सद कर्मों के सिद्धि दाता।।
तेरा पूजन जो भी है कर्ता
उसके सभी विघ्नो को तू हरता
शान पे अपनी कृपा तू रखना
तेरा गुणन आठो यम कर्ता
भावर में फसी नैया हे शिव नंदन
करके दया तू पार लगता
पुराण कर्ता उसके कर्मों को
सबसे पहले तुझे जो ध्याता।।
प्रथम वंदनी हे गणराजा
सद कर्मों के सिद्धि दाता।।