प्रथम गणराज को सिमरु जो रिद्धि सिद्धि दाता है

  • Pratham Ganraj Ko Simarun Jo Riddhi Siddhi Data Hai

गजाननं भूत गण सेवातम
भूत गण आदि सेवाताम्
कपित जम्बू फल चारु भाषनम्
उमा सुतम शोक विनाश करकरा
नमामि विघ्नेश्वरम पद पंकजमी।।

जो रिधि सीधी दाता है
प्रथम गणराज को सिमरु
जो रिद्धि सिद्धि दाता है।।

मेरी अरदास सुन देव
तू मुश्क छड के आ जाना
सभा के पागल आकार केस
हमारी लाज रख जान
कारू विनती मैं झुक उनाकी
मन गोरी जिनकी माता है
आगर श्रद्धा नहीं विश्वास नहीं
भगवान बादल के क्या होगा।।

क्रिया न मंत्र मैं जनु
शरण में तेरी आया हुआ
मेरी बड़ी बनाना देना
चड़ा ने कुछ ना लाया हुआ
करु कर जोड़ नाम नाम के
जो मुक्ति के प्रदता है
प्रथम गणराज को सिमरु
जो रिद्धि सिद्धि दाता है।।

सुनो शंकर सुमन मुझाको
अबुधि ज्ञान दे जाओ
अंधेरे में भटकते को
धर्म की राह दिख लाओ
अनिल विनती करे उनकि
विनायक जो कहता है
प्रथम गणराज को सिमरु
जो रिद्धि सिद्धि दाता है।।

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