प्रभु तुमने ही प्राण भरे ॐ जय जगदीश हरे
तुलसी ने तुमको हीं गाया, गीता में तुमको हीं पाया !
तुलसी ने तुमको हीं गाया, गीता में तुमको हीं पाया,
एक तुम्हीं सच हो नारायण, बाकी आनी जानी छाया,
हम माटी के पुतले थे प्रभु, तुमने हीं प्राण भरे,
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे,
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे,
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
तुम जो दर्शन ना दो तो नयन, व्यर्थ है पत्थरों की तरह,
जहां पूजे तुम्हें रात दिन, है वो घर मंदिरों की तरह,
वृन्दावन है ये अंगनाई, जहां तुमने चरण धरे,
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे,
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे,
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
यहाँ भगवान श्रीकृष्ण के सुरीले भजन संग्रह का अवलोकन करें
मात पिता तुम मेरे,
शरण गहुँ मैं किसकी, स्वामी शरण गहुँ मैं किसकी,
तुम बिन और ना दूजा, प्रभु बिन और ना दूजा,
आस करूँ मैं जिसकी,
ॐ जय जगदीश हरे,
तुम पुराण परमात्मा,
तुम अंतर्यामी, स्वामी तुम अन्तर्यामी,
पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सबके स्वामी,
ॐ जय जगदीश हरे,
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।