पकड़ लो बाँह रघुराई

  • pakad lo baah raghurayi

पकड़ लो बाँह रघुराई,
नहीं तो डूब जाएँगे…-

डगर ये अगम अनजानी,
पथिक मै मूड अज्ञानी ।
संभालोगे नही राघव,
तो कांटे चुभ जाएँगे….-
पकड़ लो बाँह रघुराई,
नहीं तो डूब जाएँगे ।

नहीं बोहित मेरा नौका,
नहीं तैराक मै पक्का ।
कृपा का सेतु बंधन हो,
प्रभु हम खूब आएँगे….-
पकड़ लो बाँह रघुराई,
नहीं तो डूब जाएँगे ।

नहीं है बुधि विधा बल,
माया में डूबी मती चंचल ।
निहारेंगे मेरे अवगुण,
तो प्रभु जी ऊब जाएँगे….-
पकड़ लो बाँह रघुराई,
नहीं तो डूब जाएँगे ।

प्रतीक्षारत है ये राजन ,
शरण ले लो सिया साजन ।
शिकारी चल जिधर प्रहलाद,
जी भूल जाएँगे….-
पकड़ लो बाँह रघुराई,
नहीं तो डूब जाएँगे ।
नहीं तो डूब जाएँगे,
नहीं तो डूब जाएँगे ।

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