पग बाँध के घुंगरू नाचे रे

  • pag baandh ke ghungru naache re

पग बाँध के घुंगरू नाचे रे भेरो मार मार किल कारी,
भेरो मार रहे किलकारी
पग बाँध के घुंगरू नाचे रे भेरो मार रहे किल कारी,

शिव शंकर जी के अवतारी,
भ्टुक नाथ की शान निराली
कर में तिरशूल विराजे रे भेरो मार रहे किल कारी,

नेत्र लाल विकराल शरीरा काशी का कोतवाल ये वीरा
डम डम डम डमरू बाज रहे भेरो मार रहे किल कारी,

भेरो नाथ की आई जयन्ती
पूरण हो हर आशा मन की
खोले किस्मत के सारे दरवाजे रे,
भेरो मार रहे किल कारी,

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