ओ शंकर मेरे कब होंगे दर्शन तेरे

  • o shankar mere kab honge darshan tere

ओ शंकर मेरे कब होंगे दर्शन तेरे
जीवन पथ पर, शाम सवेरे छाए है घनघोर अँधेरे

मै मूरख तू अंतरयामी,
मै सेवक तू मेरा स्वामी
काहे मुझ से नाता तोडा,
मन छोड़ा, मन्दिर भी छोड़ा,
कितनी दूर लगाये तूने जा कैलाश पे डेरे

तेरे द्वार पे जोत जगाते,
युग बीते तेरे गुण गाते
ना मांगू मैं हीरे मोती,
मांगू बस थोड़ी सी ज्योति
खली हाथ ना जाऊंगा मैं,

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