मोर मुकुट पीताम्बर सोहे

  • Mor Mukut Peetambar Sohe

मोर मुकुट पीताम्बर सोहे गल बैजयंती माला,
ठोढ़ी पे मेरे ठाकुर की ये हीरा दमके आला,
बांके बिहारी गिरधारी कोई कहे नन्द को लाला,
प्यारी छबी पे बलिहारी है ब्रज के गोपी ग्वाला,
युगल चरण छवि निरख निरख निज जीवन सफल बनाऊं,
ब्रज की इन पावन गलियों में राधे राधे गाऊं,
मैं राधे राधे गाऊं, मैं श्यामा श्यामा गाऊं-०२
मेरा मन पंछी चाहे उड़ बृन्दावन जाऊं,
ब्रज की इन पावन गलियों में राधे राधे गाऊं।

सेव कुञ्ज निधिवन मेँ नित्य आवे रास बिहारी,
रास रचावे राधे के संग गल गल बइयां डारी
राधा रमन रमन रेती बंसीबट की छबी न्यारी,
कुन्ज कुन्ज में संत विराजे हुये राधे धुन प्यारी,
यमुना में स्नान करूँ और यम की प्यास मिटाऊं,
ब्रज की इन पावन गलियों में राधे राधे गाऊं,
मैं राधे राधे गाऊं, मैं श्यामा श्यामा गाऊं-०२
मेरा मन पंछी चाहे उड़ बृन्दावन जाऊं,
ब्रज की इन पावन गलियों में राधे राधे गाऊं।

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डार डार और पात पात श्री राधे नाम पुकारे,
कालिया मर्दन रंगनाथ ध्रुव गज और ग्राह उबारे,
सूरदास हरिदास भक्त मीरा के बजे एक तारे,
जो दर्शन एक बार करे वो आपने भाग्य सवारें,
गोपेश्वर पग परश भगवती मैं गोपी बन जाऊं,
ब्रज की इन पावन गलियों में राधे राधे गाऊं,
राधे राधे राधे राधे राधे राधे गाऊं,
श्री राधे,
राधे राधे राधे राधे राधे राधे गाऊं।


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