मेरे श्याम सा दिलदार नहीं

  • Mere Shyam Sa Dildar Nahin

ओ, ओ, ओ, ओ…
सारे जगत में घूम लिया मेरे श्याम सा दिलदार नहीं,
जो मांगो यहां मिल जाता है, मिलता ना है और कहीं,
हो ओ…..
सारे जगत में घूम लिया।

जो भी इनके दर पे आया, उनको सेठ बनाया है,
सच्चे मन से करे याद, वो उनका साथ निभाया है,
ओ राजा से यह रंक बना दे, ये सब इसकी माया है,
इसकी भक्ति करी है जिसने, मुंह मांगा वर पाया है,
ओ चरणों में तू शीश झुका और मिलता ना आराम कहीं,
हो ओ…..
सारे जगत में घूम लिया।

ओ बड़े-बड़े राजा महाराजा, इनका नाम सुमरते थे,
ॐ श्री श्याम के गायन में भी, हरदम माला जपते थे,
हाथों में वह कलम थाम के, श्याम ही श्याम वो लिखते थे,
इस मंतर से उन लोगों के, सारे काज संवरते थे,
तेरा कलयुग का यह देव रहेगा, कृष्ण की ये बात सही,
हो ओ…..
सारे जगत में घूम लिया।

जिसने मानी हार जगत में, उसका ये रखवाला है,
मोर छड़ी का झाड़ा लगाके, उसका संकट टाला है,
शीश मुकुट कानों में कुंडल, गल बैजंती माला है,
तीन बाण तरकस में रखते, इनके हाथ में भाला है,
ओ हारे का तुम बनो सहारा, माँ मोरबी ने यह बात कही,
हो ओ…..
सारे जगत में घूम लिया।

ऐसा कोई शीश का दानी, ना कोई होने वाला है,
जब जब कलयुग और बढ़ेगा, जादू चलने वाला है,
ओ भीमसेन का पौत्र लाडला, बड़ा ये हिम्मतवाला है,
सुनील शर्मा विजय राजपूत, जपते इनकी माला है,
श्याम श्याम श्री मुख से गाओ, सारी उमरिया बीत गई,
हो ओ…..
सारे जगत में घूम लिया,
सारे जगत में घूम लिया।

और इस भजन का भी अवलोकन करें: श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी


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