मेरा तार हरी से जोड़े ऐसा कोई संत मिले

  • Mera Tar Hari Se Jode Aisa Koi Sant Mile

मेरा तार हरी से जोड़े ।
ऐसा कोई संत मिले ।।

टुटा तार हुआ अँधियारा,
हरि दिखे ना हरी का द्वारा ।
मेरा बिछड़ा मीत मिला दे,
ऐसा कोई संत मिले ।।

मेरा तार हरी से जोड़े ।
ऐसा कोई संत मिले ।।

जोड़े तार करे उजियारा,
अंतर में ना रहे अँधियारा ।
मेरा आतम रूप लखा दे,
ऐसा कोई संत मिले ।।

मेरा तार हरी से जोड़ें ।
ऐसा कोई संत मिले ।।

जब मैं अटकू जब मैं भटकु,
हरि के मिलन को जब में तड़पुं ।
मेरी बाह पकड़ के मिला दे,
ऐसा कोई संत मिले ।।

मेरा तार हरी से जोड़ें ।
ऐसा कोई संत मिले ।।

हँसा हस कर जाए हमारा,
माया जाल ना फसे बिचारा ।
मेरे हंस को मोती चुगा दे,
ऐसा कोई संत मिले ।।

मेरा तार हरी से जोड़ें ।
ऐसा कोई संत मिले ।।

निज में निज का बोध करा दे,
हरे पाप हरिहर से मिला दे ।
मेरी सीधी बात करा दे,
ऐसा कोई संत मिले ।।

मेरा तार हरी से जोड़ें ।
ऐसा कोई संत मिले ।।

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