मन तू सतसंग करले भाई

  • man tu santsang karle bhai

मन तू सतसंग करले भाई आधी मे पुनिआध,
तुलसी सतसंग साध कि भाई कटे कोटि अपराध,

मन तू सतसंग करले भाई,
सतसंग बीना सुख नही पावै,
चाहै फिरो जग माई……

सतसंग पारस है जग माई कंचन करै सदाई,
मन पलट हरि मे लागो सारो दुःख मिट जाई,

सतसंग है सत्य कि करणी भव से पार उतराई,
जो कोई आई बेटे सतसंग में प्रभु के दर्शन हो जाई,

सतसंग पाई सारा सुधरिया कबीरा सज्जन कसाई,
पल मे मोक्ष करे जीव कि यामे शिंष्य नाय,

देवा राम मिल्या गूरू पुरा सतसंग लगन लगाई,
गणपत राम करो नीत सतसंग जन्म सफल हो जाई.

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