मईया लक्ष्मी देती धन धान है
मईया लक्ष्मी तो देती धन धान है-०२
चार हाथों से बांटे वरदान है,
मईया लक्ष्मी तो देती धन धान है,
चार हाथों से बांटे वरदान है,
मईया लक्ष्मी तो देती धन धान है,
चार हाथों से बांटे वरदान है।
सागर मंथन से मईया जी आयीं,
आ के विष्णु के वाम समायीं,
धन वैभव यश कीर्ति माँ बांटे,
धन धान की देवी कहायीं,
देवी देवता करते गुणगान हैं-०२
चार हाथों से बांटे वरदान है,
मईया लक्ष्मी तो देती धन धान है,
चार हाथों से बांटे वरदान है।
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वामन रूप जब विष्णु जी धाये,
बली संग में पाताल सिधाये,
बलि को माँ थी भाई बनायी,
विष्णु जी को थी मुक्त करायी,
महिमा गाते सब वेद पुराण है-०२
चार हाथों से बांटे वरदान है,
मईया लक्ष्मी तो देती धन धान है,
चार हाथों से बांटे वरदान है।
नेत्रहीन आँखें माँ के दर से पाता,
गूंगा ऊँची वाणी में महिमा गाता,
बाँझ संतान तुमरे दर से पाये,
झोली निर्धन भी दर से भर आये,
माँ की पूजा करता तो ये जहान है,
माँ की पूजा तो करता ये जहान है,
चार हाथों से बांटे वरदान है,
मईया लक्ष्मी तो देती धन धान है,
चार हाथों से बांटे वरदान है।
मईया कमल के पुष्प विराजे,
स्वर्ण के माँ आभूषण में साजे,
शेष की शैय्या विष्णु संग बैठी,
सारे भक्तो को दर्शन हैं देती,
माँ की महिमा तो जग से महान है-०२
चार हाथों से बांटे वरदान है,
मईया लक्ष्मी तो देती धन धान है,
चार हाथों से बांटे वरदान है।
मईया लक्ष्मी तो देती धन धान है,
चार हाथों से बांटे वरदान है,
मईया लक्ष्मी तो देती धन धान है,
चार हाथों से बांटे वरदान है-०२