मैं राखी लेकर आयी सुनो कृष्ण कन्हाई
राखी तुमको बाँधने आयी, हे प्रभु दीन दयाल-०२
मेरे सिर पे सदा हीं रखना, अपनी कृपा का हाथ,
मैं राखी लेकर आयी, सुनो मेरे कृष्ण कन्हाई-०२
भक्ति की मोती पिरोके मैंने, श्रद्धा की राखी सजाई,
हो ओ ओ
भक्ति की मोती पिरोके मैंने, श्रद्धा की राखी सजाई,
अरमानों की डोर से मैंने, राखी है बनाई,
अपने कर कमलों के स्वामी, राखी करो स्वीकार,
मैं राखी लेकर आयी, सुनो मेरे कृष्ण कन्हाई-०२
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हर युग में प्रभु तुमने, दुखियों की लाज बचायी,
हो ओ ओ
हर युग में प्रभु तुमने, दुखियों की लाज बचायी,
सत्य लोक से आये, जब भक्तों पे विपदा आयी,
जीवन डोरी सौंपने अपनी, पास तेरे हूँ आयी,
मैं राखी लेकर आयी, सुनो मेरे कृष्ण कन्हाई-०२
जैसे जुड़े हैं प्रभु जी, आपस में राखी के धागें,
हो ओ ओ
जैसे जुड़े हैं प्रभु जी, आपस में राखी के धागें,
वैसे हीं रखना हमको, अपने श्री चरणों में लगाके,
प्रीत का बंधन सदियों पुराना, देखो टूट ना जाये,
मैं राखी लेकर आयी, सुनो मेरे कृष्ण कन्हाई-०४