मैं कैसे भूल जाऊं अपने प्रभु हनुमान को

  • Mai Kaise Bhul Jau Apne Prabhu Hanuman Ko

मैं कैसे भूल जाऊं, अपने प्रभु हनुमान को
किस्मत को बनाते हैं, भाव पार लगाते हैं
दूर कैसे मैं रह पाऊं, दूर कैसे मैं रह पाऊं
मैं कैसे भूल जाऊं, अपने प्रभु हनुमान को

हर पल दिया सहारा मुझको अपने गले लगाया
दुनिया की सारी खुशियों से मेरा घर द्वार सजाया
मैं कुछ भी समझ ना पाऊं, मैं कुछ भी समझ ना पाऊं
मैं कैसे मूल चुकाऊं, अपने प्रभु हनुमान को
मैं कैसे भूल जाऊं अपने प्रभु हनुमान को

जब जब ध्यान किया मैंने तब संकटमोचन आए
आने वाली हर विघ्नों से मुझको सदा ये बचाए
मैं तो कपि दास कहाऊं, मैं तो कपि दास कहाऊं
यह देंह समूल चढ़ाऊं, अपने प्रभु हनुमान को
मैं कैसे भूल जाऊं अपने प्रभु हनुमान को

अंधियारा मेरे उर का, हर ज्ञान का दीप जलाया।
लोक मेरा परलोक संवारा जीवन धन्य बनाया
कैसे मैं ये बिसराऊं, कैसे मैं ये बिसराऊं
मैं निसदीन शीश झुकाऊं, अपने प्रभु हनुमान को
मैं कैसे भूल जाऊं, अपने प्रभु हनुमान को

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