लख लख दिवला री है

  • lakh lakh divla ri

लख लख दिवला री है आरती आ पाबूजी रे धाम,
जग मग जोता है जागती ऐ राठौड़ो रे धाम,
रमती जगती है आरती आ कोलूमण्ड रे माय,

ढोल नगाड़ा हे बाजता पाबु जाळर रो झनकार,
आरतियों में हे आवजो पाबु केसर रे असवार ,

हाथ मे भालो है सोवणो पाबु सोरठड़ी तलवार ,
कमर कठारो है बांधणों पाबु भालो बिजलसार,

गूगल खेवा है धूप पाबु गाय रो गीरत मंगाय ,
नारेलो री है जोत जगे पाबु थोरे मन्दिर रे मोय,

चांदा ढेमा है लावजो संग सन्तो सांवत ने साथ ,
केलम पेमल है लावजो संग सोढ़ी राणी रे साथ,

तीन लोक में है आरती पाबु गावे गणा नर नार,
सांझ सवेरे है आरती होवे थोरे मन्दिर रे माय,

नेनु देवासी है आरती गावे गांव कूड़ रे माय,
रिड़जी भोपोजी है आरती करें गांव दुदली माय,

मिलते-जुलते भजन...