क्या कभी हमने सोचा था

  • kya kabhi hamne socha tha

क्या कभी हमने सोचा था के ऐसा भी हो पायेगा,
लोक रहेंगे घरो के अंदर कोई बाहर न जाएगा,

क्या कभी हमने सोचा था के पंषि यु चेहकाएगे,
पेड़ और पौधे शुद्ध हवा में मस्ती में लहराएंगे,

क्या कभी हमने सोचा था घर घर में गीता बाजेगे,
सपने में भी ना सोचा जी मोर शतो पे नाचेंगे,

क्या कभी हमने सोचा था प्रदूषण कम हो जाएगा,
गंगा यमुना का जल भी इतना निर्मल हो पायेगा,

क्या कभी हमने सोचा था पशु पक्षी खुश हो पाएंगे,
निकल जानवर जंगल से सड़को पे जशन मनाएंगे,

ना कभी हमने सोचा था इतनी लम्भी छूटी होगी
सारे काम छोड़ कर बस घर रहने की ड्यूटी होगी,

ना कभी हमने सोचा मुश्किल में खुशाली आएगी,
जनता दीप जलायेगी इक नई दीवाली आएगी,

क्या कभी हमने सोचा था ऐसा भी भगवान् करेंगे,
हां और फेस मिलाने वाले हाथ जोड़ परिणाम करेंगे,

क्या कभी हमने सोचा था क्या हम घर में ही महिमान होंगे,
चाहे गरीब हो चाहे अमीर हो सारे एक समान होंगे,

कभी न हमने सोचा था भारत इक जुट हो जाएगा,
देश के गदारो के मुख से पर्दा भी उठ पायेगा

क्या कभी तुमने सोचा था की ऐसा चमत्कार होगा,
भारत के आगे नतमस्तक ये सारा संसार होगा,

क्या कभी हमने सोचा था के ऐसे गीत बनायेगे,
कवी सिंह के नाम से दिल गदारो के जल जायेगे

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