क्या भरोसा है इस जिंदगी का
क्या भरोसा है इस जिंदगी का
साथ देती नहीं वो किसी का
साँस रुक जायेगी चलते चलते
शम्मा बुझ जायेगी चलते चलते
दम निकल जायेगा रौशनी का
क्या भरोसा है…
हम रहे ना मोहब्बत रहेगी
दासता अपनी दुनिया कहेगी
नाम रह जायेगा आदमी का
क्या भरोसा है …
दुनिया है हकीकत पुरानी
चलते रहना है उसकी रवानी
फर्ज पूरा करो आदमी का
क्या भरोसा है …