किस रोज पधारोगे गणपति मेरे आंगन में

  • Kis Roj Padhroge Ganpati Mere Aangan Mein

किस रोज पधारो गे गणपति मेरे आंगन में,
बेह जाए न कुटिया मेरी आंसुयो के सावन में
किस रोज पधारो गे गणपति मेरे आंगन में।।

तुम्हे कसम है भोले की तुम्हे कसम है गोरा की
तुम्हे भरनी ही होगी खुशिया मेरे दामन में
किस रोज पधारो गे गणपति मेरे आंगन में।।

है सूना यही हमने तुम पालनहारे हो
क्यो गमो के साए है देवा मेरे जीवन में
किस रोज पधारो गे गणपति मेरे आंगन में।।

लिखते हो तुम्ही देवा किस्मत की लकीरों को
तकदीर बंधी बोलो मेरी किस बंधन में
किस रोज पधारो गे गणपति मेरे आंगन में।।

मैं पलके जब खोलू दीदार तुम्हारा हो
जीवन भर तुम रेहना मेरे मन के दर्पण में
किस रोज पधारो गे गणपति मेरे आंगन में।।

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